बाबा रामदेव द्वारा स्थापित कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को पिछले कुछ तिमाहियों से घाटे का सामना करना पड़ रहा है। मार्च 2023 को समाप्त तिमाही में कंपनी को ₹200 करोड़ का घाटा हुआ। यह कंपनी का लगातार तीसरी तिमाही में घाटा है।
पतंजलि के घाटे के कई कारण हैं। इसकी एक वजह अन्य एफएमसीजी कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा है। हाल के वर्षों में, कई बड़ी एफएमसीजी कंपनियों ने अपने स्वयं के आयुर्वेदिक ब्रांड लॉन्च किए हैं, जिसने पतंजलि की बाजार हिस्सेदारी में सेंध लगा ली है।
पतंजलि के घाटे का दूसरा कारण कच्चे माल की बढ़ती लागत है। जड़ी-बूटियों और मसालों की कीमतें, जो पतंजलि के उत्पादों में मुख्य सामग्री हैं, हाल के महीनों में बढ़ रही हैं। इससे कंपनी को अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे बिक्री में गिरावट आई है।
पतंजलि को अपने वितरण नेटवर्क को लेकर भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी अपने उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपने वितरण नेटवर्क का तेजी से विस्तार नहीं कर पाई है। इससे कुछ क्षेत्रों में स्टॉक की कमी हो गई है, जिससे बिक्री भी प्रभावित हुई है।
पतंजलि के घाटे का असर कंपनी के शेयर भाव पर भी पड़ा है। पिछले वर्ष में स्टॉक ने अपना आधे से अधिक मूल्य खो दिया है। इससे उन निवेशकों को नुकसान हुआ, जिन्होंने कंपनी में निवेश किया था।
अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या पतंजलि अपनी किस्मत बदल पाएगी। कंपनी के पास एक मजबूत ब्रांड नाम और एक वफादार ग्राहक आधार है। हालाँकि, इसे फिर से लाभदायक बनने के लिए जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है उन्हें संबोधित करने की आवश्यकता होगी।
यहां कुछ कदम दिए गए हैं जो पतंजलि अपने वित्तीय प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए उठा सकते हैं:
- आपूर्तिकर्ताओं के साथ बेहतर सौदे पर बातचीत करके कच्चे माल की लागत कम करें।
- कच्चे माल की बढ़ती लागत की भरपाई के लिए अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाएँ।
- अधिक ग्राहकों तक पहुंचने के लिए अपने वितरण नेटवर्क का विस्तार करें।
- नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नए उत्पाद लॉन्च करें।
- ब्रांड जागरूकता बढ़ाने के लिए इसके विपणन और विज्ञापन अभियानों में सुधार करें।
यदि पतंजलि ये कदम उठाने में सक्षम है, तो वह अपनी किस्मत बदल सकती है और फिर से लाभदायक बन सकती है। हालाँकि, यह एक चुनौती होगी और कंपनी को शीघ्रता से कार्य करने की आवश्यकता होगी।